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Showing posts from June, 2017

Baisi Puja | Jagar | उत्तराखंड की 'बाईसी' पूजा | जागर | Rangilo Uttarakh...

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Nainital | City Of Lakes | Rangilo Uttarakhand | रंगीलो उत्तराखण्ड

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नैनीताल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पर्यटन नगर है। यह नैनीताल जिले का मुख्यालय भी है। कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल जिले का विशेष महत्व है। देश के प्रमुख क्षेत्रों में नैनीताल की गणना होती है। यह 'छखाता' परगने में आता है। 'छखाता' नाम 'षष्टिखात' से बना है। 'षष्टिखात' का तात्पर्य साठ तालों से है। इस अंचल में पहले साठ मनोरम ताल थे। इसीलिए इस क्षेत्र को 'षष्टिखात' कहा जाता था। आज इस अंचल को 'छखाता' नाम से अधिक जाना जाता है। आज भी नैनीताल जिले में सबसे अधिक ताल हैं। इसे भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट कहा जाता है, क्योंकि यह पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है। 'नैनी' शब्द का अर्थ है आँखें और 'ताल' का अर्थ है झील। झीलों का शहर नैनीताल उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थल है। बर्फ़ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान झीलों से घिरा हुआ है। इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है। इसलिए इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। नैनीताल को जिधर से देखा जाए, यह बेहद ख़ूबसूरत है। नैनीत

Beautiful Chaukhutia Ganai | Gewar Ghati | Rangilo Bairath | Rangilo Utt...

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Golu Devta Temple Ghorakhal Nainital | Rangilo Uttarakhand | रंगीलो उत्त...

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गोलू देवता मंदिर घोड़ाखाल नैनीताल गोलू देवता उत्तराखंड के न्याय के देवता हैं। गोलू देवता के प्रति उत्तराखण्ड वासियों की विशेष श्रद्धा है, ये घर-घर में पूजे जाने वाले देवता हैं। उत्तराखण्ड के कुमायूं मण्डल में इनके तीन मुख्य मंदिर चम्पावत, चितई और घोड़ाखाल में हैं तथा पौड़ी गढवाल में भी इनका एक मंदिर कंडोलिया देवता के नाम से है। घोड़ाखाल का शाब्दिक अर्थ है 'घोड़ों के लिए पानी का एक तालाब' | घोड़ाखाल एक छोटा सा गांव सुन्दर पहाड़ी क्षेत्र है, जो कि मुख्य रूप से पहाड़ी लोगों द्वारा पूजा की गई भगवान गोलू के मंदिर के लिए जाना जाता है जो समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित आकर्षक क्षेत्र है| यह उत्तराखंड के नैनीताल जिले के अंतर्गत आता है, काठगोदाम स्टेशन से लगभग 36 किमी और भवाली से 4 किमी दूर है। घोड़ाखाल में प्रसिद्ध आकर्षणों में से एक गोलु देवता मंदिर है | गोलू देव उत्तराखंड के कुमायू के एक ऐतिहासिक देवता हैं। वह चम्पावत के चंद राजा के पुत्र थे। इन्हें न्याय का प्रतीक माना जाता है।  जिन्हें कहीं से न्याय न मिले वह गोलू देवता की शरण में पहुंचते हैं और लोगों का मानन