Golu Devta Temple Ghorakhal Nainital | Rangilo Uttarakhand | रंगीलो उत्त...

गोलू देवता मंदिर घोड़ाखाल नैनीताल





गोलू देवता उत्तराखंड के न्याय के देवता हैं। गोलू देवता के प्रति उत्तराखण्ड वासियों की विशेष श्रद्धा है, ये घर-घर में पूजे जाने वाले देवता हैं। उत्तराखण्ड के कुमायूं मण्डल में इनके तीन मुख्य मंदिर चम्पावत, चितई और घोड़ाखाल में हैं तथा पौड़ी गढवाल में भी इनका एक मंदिर कंडोलिया देवता के नाम से है।

घोड़ाखाल का शाब्दिक अर्थ है 'घोड़ों के लिए पानी का एक तालाब'|घोड़ाखाल एक छोटा सा गांव सुन्दर पहाड़ी क्षेत्र है, जो कि मुख्य रूप से पहाड़ी लोगों द्वारा पूजा की गई भगवान गोलू के मंदिर के लिए जाना जाता है जो समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित आकर्षक क्षेत्र है| यह उत्तराखंड के नैनीताल जिले के अंतर्गत आता है, काठगोदाम स्टेशन से लगभग 36 किमी और भवाली से 4 किमी दूर है।

घोड़ाखाल में प्रसिद्ध आकर्षणों में से एक गोलु देवता मंदिर है | गोलू देव उत्तराखंड के कुमायू के एक ऐतिहासिक देवता हैं। वह चम्पावत के चंद राजा के पुत्र थे। इन्हें न्याय का प्रतीक माना जाता है।  जिन्हें कहीं से न्याय न मिले वह गोलू देवता की शरण में पहुंचते हैं और लोगों का मानना है कि यह देवता न्याय करते ही हैं। यहां स्टांप पेपर पर लिखकर लोग मन्नतें मांगते हैं और मन्नतें पूरी होने पर भगवान को धन्यवाद, घंटियां चढ़ाकर दी जाती है। गोलू देवता के प्रति लोगों की आस्था ये घंटियां ही बयां करती हैं। कई घंटियां तो 50-60 या उससे भी ज्यादा पुरानी हैं। लोग मंदिर में आकर 10 रुपए से लेकर 100 रुपए तक के गैर-न्यायिक स्टांप पेपर पर लिखित में अपनी-अपनी अपील करते हैं और जब उनकी अपील पर सुनवाई हो जाती है तो वे फीस के तौर पर यहां आकर घंटियां तथा घंटे बांधते हैं। खास बात यह है कि इन घंटियों को आप बजा नहीं सकते, क्योंकि भले घंटियों से मधुर ध्वनि निकलती हो लेकिन यदि इन्हें कई लोग एक साथ बजाएं तो इसकी ध्वनि कैसी होगी, इसका अंदाजा आप भी लगा सकते हैं। इस मंदिर में इन घंटियों को कुछ इस तरह से बांध कर रखा गया है ताकि कोई बजा न सके। 











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